न हि प्रपश्यामि ममापनुद्याद् यच्छोकमुच्छोषणमिन्द्रियाणाम्
।
अवाप्य भूमावसपत्नमृद्धं राज्यं सुराणामपि
चाधिपत्यम् ॥२.८॥
na hi prapaśyāmi mamāpanudyād
yacchokamucchoṣaṇamindriyāṇām |
avāpya bhūmāvasapatnamṛddhaṃ rājyaṃ
surāṇāmapi cādhipatyam ||2.8||
न 0 हि 0 [तत् 2/1] प्रपश्यामि I/1 मम 6/1 अपनुद्यात् III/1 यत् 1/1 शोकम् 2/1 उच्छोषणम् 2/1 इन्द्रियाणाम् 6/3 ।
अवाप्य 0 भूमौ 7/1 असपत्नम् 2/1 ऋद्धम् 2/1 राज्यम् 2/1 सुराणाम् 6/3 अपि 0 च 0 आधिपत्यम् 2/1 ॥२.८॥
·
न [na] =
not = अव्ययम्
·
हि [hi] =
indeed = अव्ययम्
·
प्रपश्यामि [prapaśyāmi] = I see = प्र + दृश् (1P) to see + लट्/कर्तरि/I/1
·
मम [mama] = my = अस्मद् (pron. m.) + सम्बन्धे to इन्द्रियाणाम् 6/1
·
अपनुद्यात् [apanudyāt] = would remove = अप + नुद् (6P) to remove + आशीर्लिङ्/कर्तरि/III/1
·
यत् [yat] = this
= यद् (pron. n.)
+ कर्तरि to अपनुद्यात्
1/1
·
शोकम् [śokam] =
sorrow = शोक (m.) + कर्मणि to अपनुद्यात् 2/1
·
उच्छोषणम् [ucchoṣaṇam] = drying up = उच्छोषण (m.) + adj.
to शोकम् 2/1
·
इन्द्रियाणाम्
[indriyāṇām] = of senses = इन्द्रिय (n.) + सम्बन्धे to उच्छोषणम् 6/3
·
अवाप्य [avāpya]
= having gained = अव्ययम्
o
अव + आप् to gain + ल्यप् (having …ed)
·
भूमौ [bhūmau]
= on the earth = भूमि (f.) + अधिकरणे to राज्यम्
7/1
·
असपत्नम् [asapatnam]
= unrivalled = असपत्न (n.) + adj. to राज्यम्
2/1
o
अविद्यमानं (non-existant) सपत्नं (enemy) यस्य (for it) तत् असपत्नं = राज्यम् । नञ्बहुव्रीहिसमासः
·
ऋद्धम् [ṛddham]
= prosperous = ऋद्ध (n.) + adj. to राज्यम्
2/1
·
राज्यम् [rājyam]
= kingdom = राज्य (n.) + कर्मणि to अवाप्य 2/1
·
सुराणाम् [surāṇām] = of the denizens of heaven = सुर (m.) + सम्बन्धे to आधिपत्यम् 6/3
·
अपि [api] = even
= अव्ययम्
·
च [ca] =
and = अव्ययम्
·
आधिपत्यम् [ādhipatyam] = sovereignty = आधिपत्य (n.) + कर्मणि to अवाप्य 2/1
Sentence:
न 0 हि 0 प्रपश्यामि I/1
यत् 1/1 शोकम् 2/1 मम 6/1 इन्द्रियाणाम् 6/3 उच्छोषणम् 2/1 अपनुद्यात् III/1 ।
असपत्नम् 2/1 ऋद्धम् 2/1 राज्यम् 2/1 भूमौ 7/1 अपि 0 च 0 सुराणाम् 6/3 आधिपत्यम् 2/1 अवाप्य 0 ॥२.८॥
I do not (न 0 हि 0) see (प्रपश्यामि I/1)
that (यत् 1/1) will remove (अपनुद्यात् III/1) the sorrow
(शोकम् 2/1) that dries
up (उच्छोषणम् 2/1) my (मम 6/1) senses (इन्द्रियाणाम् 6/3), even if I
were to obtain (अवाप्य 0) an
unrivalled (असपत्नम् 2/1) and
prosperous (ऋद्धम् 2/1) kingdom (राज्यम् 2/1) on earth (भूमौ 7/1) and (च 0) sovereignty (आधिपत्यम् 2/1) over the
denizens of heaven (सुराणाम् 6/3 अपि 0).
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