Sunday, July 28, 2024

9th Chapter 7th Sloka

सर्वभूतानि कौन्तेय प्रकृतिं यान्ति मामिकाम् ।

कल्पक्षये पुनस्तानि कल्पादौ विसृजाम्यहम् ॥ ९.७ ॥

 

sarvabhūtāni kaunteya prakṛtiṃ yānti māmikām |

kalpakṣaye punastāni kalpādau visṛjāmyaham || 9.7 ||

 

सर्वभूतानि 1/3 कौन्तेय S/1 प्रकृतिम् 2/1 यान्ति III/3 मामिकाम् 2/1

कल्पक्षये 7/1 पुनः 0 तानि 2/3 कल्पादौ 7/1 विसृजामि I/1 अहम् 1/1 ॥ ९.७ ॥

 

 

·       सर्वभूतानि [sarvabhūtāni] = all beings = सर्वभूत (n.) + कर्तरि to यान्ति 1/3

·       कौन्तेय [kaunteya] = Kaunteya! = कौन्तेय (m.) + सम्बोधने 1/1

·       प्रकृतिम् [prakṛtim] = prakṛti = प्रकृति (f.) + कर्मणि to यान्ति 2/1

·       यान्ति [yānti] = go to = या (2P) to go + लट्/कर्तरि/III/3

·       मामिकाम् [māmikām] = that which belongs to me = मामिका f. + adj. to प्रकृतिम् 2/1

·       कल्पक्षये [kalpakṣaye] = at the dissolution of the cycle of creation = कल्पक्षय (m.) + अधिकरणे 7/1

·       पुनः [punaḥ] = again = अव्ययम्

·       तानि [tāni] = them = तद् n. + कर्मणि 2/3

·       कल्पादौ [kalpādau] = at the beginning of the cycle = कल्पादि m. + अधिकरणे 7/1

·       विसृजामि [visṛjāmi] = create = वि + सृज् to create + लट्/कर्तरि/I/1

·       अहम् [aham] = I = युष्मद् m. + कर्तरि to विसृजामि 1/1

 

 

All beings, Kaunteya!, go to my prakṛti at the dissolution of the cycle of creation. Again, at the beginning of the cycle, I create them.

 

Sentence 1:

कौन्तेय S/1 कल्पक्षये 7/1 सर्वभूतानि 1/3 मामिकाम् 2/1 प्रकृतिम् 2/1 यान्ति III/3

All beings (सर्वभूतानि 1/3), Kaunteya (कौन्तेय S/1)!, go (यान्ति III/3) to my (मामिकाम् 2/1) prakṛti (प्रकृतिम् 2/1) at the dissolution of the cycle of creation (कल्पक्षये 7/1).

 

Sentence 2:

कल्पादौ 7/1 अहम् 1/1 पुनः 0 तानि 2/3 विसृजामि I/1 ॥ ९.७ ॥

Again (पुनः 0), at the beginning of the cycle (कल्पादौ 7/1), I (अहम् 1/1) create (विसृजामि I/1) them (तानि 2/3).

 

 

एवं वायुः आकाशे इव मयि स्थितानि सर्वभूतानि स्थितिकाले ; तानि

सर्वभूतानि कौन्तेय प्रकृतिं त्रिगुणात्मिकाम् अपरां निकृष्टां यान्ति मामिकां मदीयां कल्पक्षये प्रलयकाले । पुनः भूयः तानि भूतानि उत्पत्तिकाले कल्पादौ विसृजामि उत्पादयामि अहं पूर्ववत् ॥ ७ ॥

 

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